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साहित्य सङ्गीत
एकचोटी सुटुक्क गै दिउँ लाग्छ !
खगेन्द्र गिरि कोपिला
खगेन्द्र गिरि कोपिला शनिबार, चैत १९, २०७८, ०८:२८